:امام علی علیه السلام
فَإِنّي اُوصيكُم بِتَقوَى اللّهِ... فَمَن أخَذَ بِالتَّقوى عَزَبَت عَنهُ الشَّدائِدُ بَعدَ دُنُوِّها... وتَحَدَّبَت عَلَيهِ الرَّحمَةُ بَعدَ نُفورِها، وتَفَجَّرَت عَلَيهِ النِّعَمُ بَعدَ نُضوبِها، ووَبَلَت عَلَيهِ البَرَكَةُ بَعدَ إرذاذِها
نهج البلاغة : الخطبة ۱۹۸
अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अ.स.
मैं तुम्हें अल्लाह का ख़ौफ़ (तक़वा) अपनाने की सलाह देता हूँ,
क्योंकि जो व्यक्ति परहेज़गारी अपनाता है —
मुश्किलें, जब बहुत क़रीब आ चुकी हों, तब भी उससे दूर हो जाती हैं;
रहमत, जो दूर चली गई हो, उस पर फिर मेहरबान हो जाती है;
नेमतों का चश्मा, जो सूख चुका हो, उसके लिए फिर से उबलने लगता है;
और बरकत की बारिश, जो कम रह गई हो, उसके लिए सैलाब बन जाती है।
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